वर्तमान की खुशी के कारण, भविष्य की बर्बादी आज के (सभी नहीं)अधिकतर युवाओं की सोच पर एक चिंतन...
आज के दौर में युवाओं की सोच और उनकी जीवनशैली तेजी से बदल रही है। तकनीक, सोशल मीडिया और उपभोक्तावाद के प्रभाव में, कई युवा तात्कालिक सुख-सुविधाओं को सर्वोच्च प्राथमिकता देने लगे हैं, भले ही इसके कारण उनका भविष्य दांव पर लग जाए।
आज का युवा क्षणिक आनंद को ही जीवन की सफलता मानने लगा है। नशा, सोशल मीडिया पर दिखावा, बेवजह के खर्च, और बिना सोचे-समझे लिए गए निर्णय—इन सभी का प्रभाव उनके भविष्य पर पड़ता है। वे यह भूल जाते हैं कि आज की लापरवाही कल की परेशानी बन सकती है।
आज के युवा त्वरित आनंद के लिए आर्थिक स्थिरता को नजरअंदाज कर देते हैं। महंगे गैजेट्स, ब्रांडेड कपड़े, लक्जरी यात्रा, और पार्टियों पर अनावश्यक खर्च करके वे अपने भविष्य की बचत को नष्ट कर देते हैं। क्रेडिट कार्ड और लोन की आसान उपलब्धता उन्हें बिना सोचे-समझे खर्च करने के लिए प्रेरित करती है, जिससे वे कर्ज के जाल में फंस जाते हैं।
कुछ युवा पढ़ाई और करियर की गंभीरता को नहीं समझते। वे आसान रास्ते अपनाकर जल्द से जल्द पैसे कमाना चाहते हैं, लेकिन बिना ठोस ज्ञान और मेहनत के स्थायी सफलता संभव नहीं होती। कई लोग करियर बनाने की जगह शॉर्टकट तरीकों, ऑनलाइन वायरल कंटेंट या जुए-सट्टे में ही अपना भविष्य तलाशने लगते हैं, जिससे वे दीर्घकालिक सफलता से वंचित रह जाते हैं।
आज की पीढ़ी में सामाजिक जिम्मेदारियों को लेकर उदासीनता बढ़ रही है। माता-पिता की मेहनत की कमाई को मौज-मस्ती में उड़ाना, नैतिक मूल्यों को नजरअंदाज करना, और सामाजिक सरोकारों से दूरी बनाना एक आम प्रवृत्ति बन गई है। यह दृष्टिकोण न केवल उनके स्वयं के भविष्य के लिए बल्कि समाज के लिए भी हानिकारक है।
युवाओं को चाहिए कि वे तात्कालिक आनंद और दीर्घकालिक सफलता के बीच संतुलन बनाएं।
कमाई और खर्च के बीच संतुलन बनाना सीखें, निवेश की आदत डालें और भविष्य के लिए बचत करें।
सही दिशा में मेहनत करें और दीर्घकालिक लक्ष्य बनाएं।
परिवार और समाज के प्रति जिम्मेदारी समझें और अपने कार्यों के दूरगामी प्रभावों को पहचानें।
नशे, आलस्य और दिखावे से दूर रहें और जीवन में अनुशासन को अपनाएं।
और अंत में...
आज का युवा देश का भविष्य है। यदि वे केवल तात्कालिक सुखों में खोकर अपने भविष्य को नजरअंदाज करेंगे, तो यह न केवल उनकी व्यक्तिगत हानि होगी, बल्कि समाज और देश भी इसका खामियाजा भुगतेगा। संतुलित सोच और जिम्मेदार व्यवहार अपनाकर ही वे एक उज्जवल और सफल भविष्य की नींव रख सकते हैं।
और हाँ...
सभी युवा ऐसे नहीं होते। समाज में अनेक ऐसे युवा भी हैं जो अपने भविष्य को संवारने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं, अपने करियर और शिक्षा पर ध्यान दे रहे हैं, और सामाजिक उत्तरदायित्व को समझते हुए अच्छे नागरिक बनने की दिशा में काम कर रहे हैं।
डॉ मनीष वैद्य।
सचिव
वृद्ध सेवा आश्रम, रांची