समाज और देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी...
समाज और देश के प्रति हमारी जिम्मेदारी...
हर नागरिक का यह कर्तव्य होता है कि वह अपने समाज और देश के विकास में योगदान दे। एक सशक्त राष्ट्र तभी बन सकता है जब उसके नागरिक अपनी जिम्मेदारियों को समझें और ईमानदारी से उनका पालन करें। समाज और देश के प्रति हमारी जिम्मेदारियां कई स्तरों पर होती हैं—नैतिक, सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय।
1. नैतिक जिम्मेदारी...
हमारा पहला कर्तव्य है कि हम नैतिक रूप से सही आचरण करें। ईमानदारी, सत्यता, दूसरों के प्रति सम्मान और समानता जैसे मूल्यों को अपनाकर हम समाज में सद्भावना बनाए रख सकते हैं। बच्चों को अच्छे संस्कार देना और समाज में नैतिकता की भावना को प्रोत्साहित करना हमारी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
2. सामाजिक जिम्मेदारी...
हम जिस समाज में रहते हैं, उसका विकास और शांति बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। इसमें गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता, शिक्षा के प्रचार-प्रसार, महिलाओं एवं वृद्धजनों के सम्मान और समाज में फैली कुरीतियों को मिटाने का कार्य शामिल है। जातिवाद, छुआछूत, दहेज प्रथा और अंधविश्वास जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आवाज उठाना भी हमारी जिम्मेदारी है।
3. आर्थिक जिम्मेदारी...
राष्ट्र की आर्थिक प्रगति में योगदान देने के लिए हमें परिश्रम और ईमानदारी से काम करना चाहिए। कर चुकाना, स्वरोजगार को बढ़ावा देना, स्वदेशी उत्पादों को अपनाना और भ्रष्टाचार से दूर रहना हमारी आर्थिक जिम्मेदारियों में शामिल है।
4. राजनीतिक जिम्मेदारी...
एक अच्छे नागरिक की पहचान यह है कि वह अपने राजनीतिक अधिकारों और कर्तव्यों को समझता है। मतदान करना, ईमानदार और योग्य नेताओं का चयन करना, सरकार की नीतियों पर ध्यान देना और राष्ट्रहित में अपनी आवाज उठाना हमारी राजनीतिक जिम्मेदारी है।
5. पर्यावरणीय जिम्मेदारी...
प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण हमारी प्राथमिक जिम्मेदारियों में से एक है। जल, वायु और भूमि को प्रदूषित होने से बचाना, वृक्षारोपण करना, प्लास्टिक का कम उपयोग करना और ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों को अपनाना हमारे कर्तव्यों में शामिल है। पर्यावरण की रक्षा करके ही हम आने वाली पीढ़ियों को एक सुरक्षित और स्वच्छ भविष्य दे सकते हैं।
और अंत में...
हर व्यक्ति का यह कर्तव्य है कि वह समाज और देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझे और उनका पालन करे। जब हर नागरिक अपने हिस्से की जिम्मेदारी निभाएगा, तब हमारा देश सशक्त और विकसित बनेगा। बदलाव की शुरुआत हमेशा स्वयं से होती है, इसलिए हमें अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए।
डॉ मनीष वैद्य।
सचिव
वृद्ध सेवा आश्रम,राँची!