सनातन ही विश्व का एकमात्र धर्म : सृष्टि का शाश्वत सत्य
जब हम “धर्म” शब्द बोलते हैं, तो अक्सर उसे किसी पंथ, मजहब या संप्रदाय से जोड़ देते हैं। परंतु “धर्म” का असली अर्थ है — धारण करने योग्य सत्य, वह जो सृष्टि के संचालन का आधार है। इसी अर्थ में देखें तो इस ब्रह्मांड में केवल एक ही धर्म है — सनातन धर्म।
सनातन धर्म की उत्पत्ति — सृष्टि के साथ
सनातन धर्म का आरंभ किसी व्यक्ति, पैगंबर या ग्रंथ से नहीं हुआ। यह सृष्टि के आरंभ से ही विद्यमान है।
ऋषियों और मुनियों ने जब गहन ध्यान में सत्य का साक्षात्कार किया, तो वही ज्ञान वेद कहलाया।
इसीलिए सनातन धर्म मानव-निर्मित नहीं, बल्कि ईश्वर-प्रदत्त है।
यह अनादि (जिसका कोई आरंभ नहीं) और अनंत (जिसका कोई अंत नहीं) है।
सनातन धर्म क्यों है “विश्व धर्म”
सनातन धर्म किसी एक जाति, भाषा या देश का धर्म नहीं है — यह मानवता का धर्म है।
इसका सिद्धांत है —
“वसुधैव कुटुम्बकम्” — समस्त विश्व एक परिवार है।
यह हर जीव में ईश्वर का अंश देखता है। यही कारण है कि इसमें अहिंसा, सत्य, सेवा, करुणा, और कर्तव्य को सर्वोच्च स्थान दिया गया है।
विज्ञान और अध्यात्म का संगम
सनातन धर्म केवल पूजा-पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने की विज्ञानसम्मत प्रणाली है।
योग, ध्यान, आयुर्वेद, वास्तु, ज्योतिष और वेदांत — ये सभी इसके अंग हैं।
पाश्चात्य जगत आज इन्हीं सिद्धांतों को “Mindfulness”, “Holistic Health” या “Spiritual Science” कहकर अपना रहा है।
समावेश और सहिष्णुता का धर्म
जहाँ अन्य मत ‘मेरा मार्ग ही सत्य है’ कहते हैं, वहीं सनातन धर्म कहता है —
“एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति” — सत्य एक है, ज्ञानी उसे विभिन्न रूपों में कहते हैं।
यही उदारता, यही सहिष्णुता इसे विश्व का सबसे समावेशी और शाश्वत धर्म बनाती है।
आज की आवश्यकता — सनातन की पुनर्स्थापना
आज जब दुनिया भौतिकता की दौड़ में नैतिकता खो रही है, तब सनातन धर्म के सिद्धांत ही संतुलन ला सकते हैं।
सत्य, संयम, करुणा, और सेवा की भावना ही मानवता को विनाश से बचा सकती है।
सनातन धर्म न केवल जीने का मार्ग है, बल्कि जीवन का उद्देश्य भी सिखाता है।
और अंत में...
सनातन धर्म किसी व्यक्ति की आस्था नहीं, बल्कि सृष्टि का स्वभाव है।
यह धर्म नहीं, धर्म का सार है।
इसीलिए इसे “सनातन” कहा गया — जो न कभी बना, न कभी मिटेगा।
वास्तव में, सनातन ही विश्व का एकमात्र धर्म है, बाकी सब उसके अंश या व्याख्याएँ हैं।
मनीष वैद्य।