संस्कार और माता-पिता का रिश्ता...

संस्कार और माता-पिता का रिश्ता बहुत गहरा और महत्वपूर्ण होता है। संस्कार व्यक्ति के व्यक्तित्व, आचरण, और जीवन के मूल्यों का आधार होते हैं, और इनकी नींव माता-पिता ही रखते हैं।

संस्कार का महत्व

1. चरित्र निर्माण: संस्कार बच्चों के चरित्र और नैतिक मूल्यों को विकसित करते हैं।

2. जीवन जीने की कला: यह सिखाते हैं कि दूसरों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए और समाज में कैसे रहना चाहिए।

3. सफलता की नींव: अच्छे संस्कार जीवन में सही निर्णय लेने और विपरीत परिस्थितियों में संतुलित रहने में मदद करते हैं।

माता-पिता की भूमिका

1. प्रथम गुरु: माता-पिता बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं। वे अपने आचरण और व्यवहार से बच्चों को सिखाते हैं।

2. प्रेरणा स्रोत: माता-पिता के विचार, आदतें और जीवनशैली बच्चों को प्रेरित करते हैं।

3. सहारा और मार्गदर्शन: माता-पिता अपने अनुभवों से बच्चों को सही दिशा दिखाते हैं और कठिन समय में उनका सहारा बनते हैं।

बच्चों को संस्कार देने के उपाय

1. स्वयं आदर्श बनें: माता-पिता को ऐसा आचरण करना चाहिए जिसे देखकर बच्चे प्रेरित हों।

2. संवाद करें: बच्चों के साथ सकारात्मक और खुले संवाद करें।

3. परंपराओं का परिचय: त्योहार, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक गतिविधियों के माध्यम से उन्हें अपनी जड़ों से जोड़ें।

4. सम्मान का पाठ पढ़ाएं: उन्हें बड़ों का आदर करना, विनम्रता, और सहानुभूति का महत्व सिखाएं।

5. स्वतंत्रता और जिम्मेदारी: बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार स्वतंत्रता दें, लेकिन जिम्मेदारी का महत्व भी समझाएं।

संस्कार माता-पिता की सबसे बड़ी देन होती है, जो बच्चों का जीवन संवार सकती है। इसलिए, अपने आचरण और प्रेमपूर्ण देखभाल से बच्चों को एक अच्छे इंसान बनने में मदद करें।
और जीवन के अंतिम पड़ाव में वृद्धाश्रम जाने से बचें। 

धन्यवाद!

डाॅ मनीष वैद्य 
सचिव "वृद्ध सेवा आश्रम" ,राँची झारखंड

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