झारखंड की सामाजिक स्थिति...
झारखंड की सामाजिक स्थिति विविधता, सांस्कृतिक धरोहर, और पारंपरिक जीवन शैली का अनूठा संगम है। यह राज्य मुख्यतः आदिवासी बहुल है, जिनका समाज, संस्कृति और परंपराएँ झारखंड की पहचान हैं। यहाँ की सामाजिक स्थिति को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
1. आदिवासी समाज की प्रधानता
झारखंड में संथाल, मुण्डा, हो, उरांव, बिरहोर, असुर, और खरिया जैसे प्रमुख आदिवासी समुदाय रहते हैं। उनकी जीवनशैली प्रकृति पर आधारित है और उनकी संस्कृति नृत्य, गीत, त्यौहारों और रीति-रिवाजों से समृद्ध है।
2. भाषा और संस्कृति की विविधता
यहाँ प्रमुख भाषाएँ हैं: नागपुरी, कुड़ुख, संथाली, मुंडारी, खड़िया, और हिंदी।
झारखंड की संस्कृति लोक गीत, लोक नृत्य (जैसे करमा, सारहुल), और हस्तशिल्प में झलकती है।
विभिन्न समुदायों के अपने पारंपरिक रीति-रिवाज हैं।
3. पितृसत्तात्मक और सामुदायिक संरचना
अधिकांश समाज पितृसत्तात्मक है, लेकिन आदिवासी समाज में महिलाओं को पारंपरिक दृष्टिकोण से अधिक स्वतंत्रता और सम्मान प्राप्त है।
सामुदायिक जीवन में एकजुटता और सहकारिता की भावना प्रबल है।
4. धार्मिक विश्वास
झारखंड में हिंदू धर्म, ईसाई धर्म, और सरना धर्म के अनुयायी हैं।
सरना धर्म प्रकृति पूजा पर आधारित है और आदिवासी समाज की मुख्य धार्मिक धारा है।
प्रमुख त्यौहारों में सारहुल, करम, मगही पूजा, और तुसु पर्व शामिल हैं।
5. समाज में आर्थिक असमानता
झारखंड की बड़ी आबादी खेती, जंगल आधारित संसाधनों, और श्रम पर निर्भर है।
गरीबी, अशिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी ने समाज में असमानता को बढ़ावा दिया है।
औद्योगिकीकरण के कारण विस्थापन और सामाजिक संरचना में बदलाव भी हुआ है।
6. शिक्षा और जागरूकता का स्तर
शिक्षा का स्तर धीरे-धीरे सुधर रहा है, लेकिन ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में साक्षरता दर अभी भी अपेक्षाकृत कम है।
सरकार और विभिन्न संगठनों के प्रयासों से महिलाओं और बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दिया जा रहा है।
7. महिलाओं की स्थिति
आदिवासी समाज में महिलाएँ कृषि, हस्तशिल्प और पारंपरिक कार्यों में सक्रिय हैं।
हालांकि, अन्य क्षेत्रों में महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा की स्थिति में सुधार की आवश्यकता है।
8. पर्यावरण और जीवनशैली
झारखंड की सामाजिक स्थिति प्रकृति से गहराई से जुड़ी है। वन और जल स्रोत जीवन का मुख्य आधार हैं।
आदिवासी समाज पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
9. आधुनिकता का प्रभाव
शहरीकरण और औद्योगिकीकरण के प्रभाव से सामाजिक संरचना में बदलाव हो रहा है।
पारंपरिक और आधुनिक जीवन शैली के बीच संतुलन बनाने की चुनौती है।
झारखंड की सामाजिक स्थिति उसकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करते हुए आर्थिक और सामाजिक विकास की ओर अग्रसर है।
धन्यवाद!
डाॅ मनीष वैद्य