अकेले होते लोग...
वृद्धों का संरक्षण समाज और परिवार की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। यह न केवल हमारी सांस्कृतिक और नैतिक परंपराओं का हिस्सा है, बल्कि यह एक सभ्य समाज की पहचान भी है। वृद्ध व्यक्तियों ने अपने जीवन का बड़ा हिस्सा समाज और परिवार की सेवा में बिताया है, और उनके अनुभव एवं ज्ञान हमारे लिए एक मूल्यवान धरोहर हैं।
वृद्धों के संरक्षण के उपाय:
1. परिवार में देखभाल:
वृद्धों को परिवार के साथ रहने और सम्मान देने का माहौल तैयार करें।
उनकी भावनात्मक और मानसिक जरूरतों को समझें और उन्हें अकेलापन महसूस न होने दें।
2. स्वास्थ्य सेवाएं:
नियमित स्वास्थ्य जांच की सुविधा प्रदान करें।
पौष्टिक आहार और सही समय पर दवाओं का प्रबंध करें।
3. आर्थिक सुरक्षा:
पेंशन योजनाओं और सरकारी लाभों का सही उपयोग करें।
आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर रहने में उनकी मदद करें।
4. सामाजिक भागीदारी:
वृद्धों को सामाजिक कार्यक्रमों और गतिविधियों में शामिल करें।
उनके अनुभवों का लाभ लेने के लिए उन्हें सलाहकार के रूप में स्थान दें।
5. परिवार का प्रयास:
बच्चे अगर बाहर रह रहे हैं तो उन्हें वृद्धाश्रम में न रख कर उनके अपने आशियाने में ही देखभाल के लिए बेटे- बेटियों के द्वारा उचीत वयवस्था कर रखने की व्यवस्था किया जाना चाहिए।
6. सरकारी प्रयास:
वृद्धाश्रमों में बेहतर सुविधाएं और सेवाएं प्रदान की जाएं।
वृद्ध नागरिकों के लिए विशेष योजनाएं और अधिकार सुनिश्चित किए जाएं।
7. समाज की भूमिका:
वृद्ध व्यक्तियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ाई जाए।
उनके प्रति सम्मान और आदर का भाव समाज में स्थापित किया जाए।
वृद्धों का संरक्षण सिर्फ एक कर्तव्य नहीं, बल्कि उनके प्रति हमारी कृतज्ञता का प्रतीक है। यह हमें न केवल मानवीय मूल्य सिखाता है, बल्कि हमारे समाज को भी एकजुट और सशक्त बनाता है।
फल न देगा सही छांव तो देगा तुमको।
पेड़ बूढ़ा ही सही आँगन में लगा रहने दो।।
धन्यवाद!
डाॅ मनीष वैद्य
सचिव
"वृद्ध सेवा आश्रम", राँची द्वारा प्रसारित एवं प्रचारित