वृद्ध सेवा आश्रम, रांची का अभिनव प्रयास: वृद्धजनों के लिए वैकल्पिक जीवन मॉडल की ओर...

भारत एक ऐसा देश है जहाँ पारिवारिक मूल्यों और वृद्धजनों के सम्मान की लंबी परंपरा रही है। लेकिन बदलते सामाजिक और आर्थिक परिदृश्य में अब यह आवश्यक हो गया है कि हम वृद्धजनों के लिए ऐसी योजनाएँ विकसित करें जो न केवल उनकी गरिमा को बनाए रखें, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर जीवन जीने का अवसर भी दें। इस दिशा में वृद्ध सेवा आश्रम, रांची का प्रयास पूरे देश के लिए एक प्रेरणा बनकर उभरा है।

आश्रम द्वारा विकसित किए जा रहे तीन प्रमुख वैकल्पिक मॉडल डे केयर सेंटर्स, सहयोगी आवास, और पारिवारिक पुनर्वास योजनाएँ, वृद्धजनों की विविध आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं।

1. डे केयर सेंटर्स: सम्मानजनक दिनचर्या का केंद्र

इन केंद्रों में बुजुर्ग सुबह आते हैं और दिन भर विभिन्न सामाजिक, मानसिक व रचनात्मक गतिविधियों में भाग लेते हैं। उन्हें पौष्टिक भोजन, चिकित्सा सुविधा और साथ में हमउम्र साथियों की संगत भी मिलती है। इससे उनका अकेलापन दूर होता है और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार आता है।

2. सहयोगी आवास: सामूहिक जीवन की शक्ति

इस मॉडल के तहत ऐसे वृद्धजन जो अकेले रह जाते हैं, उन्हें एक सुरक्षित, सम्मानजनक और पारिवारिक वातावरण में सामूहिक रूप से रहने की सुविधा दी जाती है। यहां स्वावलंबन को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे वे अपनी दिनचर्या स्वयं निर्धारित कर सकें, साथ ही आवश्यकता पड़ने पर सहयोग भी पा सकें।

3. पारिवारिक पुनर्वास योजना: परिवार से पुनः जुड़ाव

यह योजना उन वृद्धजनों के लिए है जो परिस्थितिवश परिवार से अलग हो गए हैं। संस्था पारिवारिक परामर्श, समझौता, और पुनर्मिलन की प्रक्रिया के माध्यम से उन्हें पुनः परिवार में सम्मानजनक स्थान दिलाने का प्रयास करती है।

इन तीनों मॉडलों का उद्देश्य है – “वृद्धजनों को उपेक्षित नहीं, सहयोगी समझा जाए”। वृद्ध सेवा आश्रम, रांची का यह कार्य न केवल झारखंड बल्कि पूरे भारत के लिए अनुकरणीय है। सरकार, समाज और संस्थाएँ यदि इस मॉडल को अपनाएं और समर्थन दें, तो निस्संदेह देश में बुजुर्गों की स्थिति में क्रांतिकारी सुधार संभव है।

डॉ मनीष वैद्य!
सचिव 
वृद्ध सेवा आश्रम, रांची

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