मूर्खता : एक विनाशक प्रवृत्ति...
मूर्खता केवल ज्ञान की कमी नहीं है, यह एक मानसिक जड़ता है, जिसमें व्यक्ति तर्क, विवेक और समझ के बिना व्यवहार करता है। मूर्ख व्यक्ति को न तो सही-गलत का भान होता है, न ही वह अनुभव से सीखता है। भारतीय परंपरा में मूर्खता को सबसे बड़ा दोष माना गया है। कबीरदास ने कहा है कि मूर्ख की संगति से बचना चाहिए, क्योंकि उसका संग स्वयं को भी नीचे गिरा सकता है।
विदुर नीति में स्पष्ट कहा गया है कि मूर्ख व्यक्ति दुखी को देखकर प्रसन्न होता है, निर्बलों का मजाक उड़ाता है और उचित-अनुचित में भेद नहीं कर पाता। ऐसे व्यक्ति का त्याग करना ही कल्याणकारी है। मूर्खता का सबसे बड़ा लक्षण है — अपनी गलती को बार-बार दोहराना और दूसरों की सलाह को अनसुना करना।
मूर्खता केवल अपने लिए ही नहीं,पूरे परिवार और समाज के लिए भी संकट बन सकती है। इसलिए हर व्यक्ति को चाहिए कि वह विवेक, अनुभव और सही मार्गदर्शन से अपने जीवन को संवारने का प्रयास करे।
जहाँ मूर्खता है, वहाँ विनाश निश्चित है। जहाँ बुद्धिमत्ता है, वहाँ विकास स्वाभाविक है।
प्रेरक कथा: जो आप सबों ने जरूर सुना होगा मूर्ख बंदर और राजा की...
एक राजा ने अपने निजी कमरे की रक्षा के लिए एक बलवान बंदर को नियुक्त किया। बंदर राजा से बड़ा प्रेम करता था। एक दिन राजा दोपहर में सो रहे थे। तभी एक मक्खी उनके चेहरे पर आकर बैठी। बंदर ने देखा और मक्खी को भगाने लगा। मगर मक्खी उड़कर बार-बार वापस आ जाती।
क्रोधित होकर बंदर ने तलवार उठाई और जैसे ही मक्खी राजा के चेहरे पर बैठी, उसने पूरी ताकत से वार कर दिया।
नतीजा — मक्खी तो बच गई, लेकिन राजा मारा गया।
सीख: मूर्ख सेवक से सावधान रहना चाहिए। उसका प्रेम भी विनाश ला सकता है।
डॉ मनीष वैद्य!
सचिव
वृद्ध सेवा आश्रम, रांची