आधुनिक युग और वृद्धाश्रम...
आधुनिक युग में जीवनशैली, परिवारिक संरचना और समाजिक मूल्यों में बड़े बदलाव देखने को मिले हैं। इन बदलावों का एक महत्वपूर्ण पहलू है वृद्धजनों के लिए वृद्धाश्रमों की बढ़ती भूमिका।
परिवारिक संरचना में बदलाव
1. संयुक्त परिवार से एकल परिवार
आधुनिक युग में परिवार संयुक्त से एकल होते जा रहे हैं। कामकाजी जीवन की व्यस्तता, शहरों की ओर पलायन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण कई बार बुजुर्गों को अकेला छोड़ दिया जाता है।
2. महंगी जीवनशैली और दबाव
आर्थिक अस्थिरता और महंगाई के चलते कई परिवार वृद्धजनों की देखभाल करने में कठिनाई महसूस करते हैं।
वृद्धाश्रम की आवश्यकता
वृद्धाश्रम उन बुजुर्गों के लिए सहारा बनते जा रहे हैं, जिन्हें परिवार से उचित देखभाल नहीं मिल पाती। ये संस्थान उन्हें न केवल रहने का स्थान प्रदान करते हैं, बल्कि स्वास्थ्य सेवाएं, मानसिक समर्थन और सामाजिक जुड़ाव का अवसर भी देते हैं।
सकारात्मक पहलू
1. स्वतंत्रता
वृद्धाश्रम में बुजुर्ग अपनी दिनचर्या को स्वतंत्र रूप से जी सकते हैं।
2. सामाजिक जुड़ाव
अन्य वृद्धजनों के साथ रहने से अकेलापन कम होता है।
3. विशेष सेवाएं
कई वृद्धाश्रम चिकित्सा सेवाएं और मनोरंजन के साधन उपलब्ध कराते हैं।
नकारात्मक पहलू
1. भावनात्मक दूरी
परिवार से दूर रहने का दर्द बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है।
2. सामाजिक अस्वीकार्यता
समाज में अभी भी वृद्धाश्रम को अंतिम विकल्प के रूप में देखा जाता है।
3. असमान सुविधाएं
सभी वृद्धाश्रम एक जैसी सुविधाएं नहीं प्रदान करते, और कई बुजुर्ग अपनी आर्थिक स्थिति के कारण अच्छे आश्रमों में नहीं जा पाते।
आवश्यकता: संतुलन की
वृद्धाश्रम कभी-कभी आवश्यक हो सकते हैं, लेकिन यह आदर्श नहीं है। समाज और परिवारों को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बुजुर्ग अपने जीवन का उत्तरार्ध सम्मान और प्यार के साथ जी सकें। पारिवारिक संबंधों को मजबूत करना, उनके प्रति सहानुभूति रखना और उनकी जरूरतों को प्राथमिकता देना सबसे बड़ा समाधान है।
निष्कर्ष
आधुनिक युग ने वृद्धाश्रमों को एक विकल्प के रूप में उभारा है, लेकिन यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने बुजुर्गों को वह प्यार और आदर दें जिसके वे हकदार हैं। परिवार और समाज को मिलकर ऐसा वातावरण बनाना होगा, जहां वृद्धाश्रम अंतिम विकल्प बने, प्राथमिक नहीं।
धन्यवाद!
डाॅ मनीष वैद्य
सचिव "वृद्ध सेवा आश्रम" राँची, झारखंड