बदनामी और आलोचना से डरे बिना अपने लक्ष्य की ओर बढ़ें...
हर व्यक्ति जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है, उसे आलोचना, बदनामी और लोगों की नकारात्मक टिप्पणियों का सामना करना ही पड़ता है। यह एक सच्चाई है कि जब भी आप किसी सार्थक और प्रभावी कार्य की ओर बढ़ते हैं, तो कई लोग आपको रोकने की कोशिश करेंगे। कुछ आपकी निंदा करेंगे, कुछ आपको गलत समझेंगे, और कुछ लोग सिर्फ इसलिए आपके खिलाफ बोलेंगे क्योंकि वे खुद कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
लेकिन क्या इन बातों की वजह से हमें अपने लक्ष्य से पीछे हट जाना चाहिए? बिल्कुल नहीं! इतिहास गवाह है कि हर सफल व्यक्ति को समाज की कड़ी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा है। स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, डॉ. भीमराव अंबेडकर, अब्दुल कलाम—ये सभी महान हस्तियाँ भी विरोध और आलोचनाओं से गुजरी हैं, लेकिन उन्होंने अपने लक्ष्य को नहीं छोड़ा।
आलोचनाएँ और बदनामी क्यों होती हैं?
1. लोगों को बदलाव से डर लगता है...
2. लोगों को दूसरों की प्रगति सहन नहीं होती... कुछ लोग सिर्फ इसलिए आपकी आलोचना करते हैं क्योंकि वे खुद कुछ नहीं कर रहे होते।
3. अंधविश्वास और झूठी धारणाएँ...
जब आप सच और न्याय की बात करते हैं, तो कई बार समाज में व्याप्त झूठ और अंधविश्वास के समर्थक आपके विरोध में खड़े हो जाते हैं।
4. सत्ता और प्रभावशाली लोग आपको रोकने की कोशिश करते हैं...
अगर आपका कार्य किसी के स्वार्थ के खिलाफ है, तो वे आपको बदनाम करने की कोशिश करेंगे।
इन परिस्थितियों में क्या करें?
1. अपने लक्ष्य पर अडिग रहें...
जब भी लोग आपको रोकने की कोशिश करें, तो याद रखें कि आप सही राह पर हैं।
2. आत्मविश्वास बनाए रखें...
आपकी सबसे बड़ी ताकत आपका आत्मविश्वास है। अगर आप अपने काम को लेकर स्पष्ट हैं, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको रोक नहीं सकती।
3. लोगों की शिकायतों को सकारात्मक लें... अगर कोई आपकी आलोचना करता है, तो उसे सीखने का अवसर समझें।
4. सही लोगों का साथ चुनें...
नकारात्मक लोगों से दूर रहें और उन्हीं लोगों के साथ रहें जो आपको प्रोत्साहित करते हैं।
5. अपने कार्यों को लोगों तक पहुँचाएँ...
अगर लोग आपकी निंदा कर रहे हैं, तो अपने अच्छे कार्यों को और मजबूत करें ताकि आपकी सच्चाई खुद लोगों के सामने आ जाए।
और अंत में...
अगर आप अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हैं, तो लोगों की शिकायतों और आलोचनाओं को अपने ऊपर हावी न होने दें। आलोचना और बदनामी केवल उन लोगों को मिलती है जो सच में बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं। इसलिए, बिना रुके, बिना डरे, अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहें। एक दिन वही लोग जो आपकी आलोचना कर रहे थे, आपकी सफलता की मिसाल देंगे!
डॉ मनीष वैद्य।
सचिव
वृद्ध सेवा आश्रम, रांची