संयुक्त परिवार प्रणाली: वृद्धाश्रमों की आवश्यकता खत्म करने का समाधान
वर्तमान समाज में वृद्धाश्रमों की संख्या में वृद्धि चिंता का विषय बन चुकी है। आधुनिक जीवनशैली, बढ़ती व्यस्तता और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की चाह ने संयुक्त परिवार प्रणाली को कमजोर कर दिया है, जिसके कारण बुजुर्गों को अपने ही परिवार में उपेक्षित महसूस करना पड़ रहा है। अगर हम अपने समाज में फिर से संयुक्त परिवार प्रणाली को सुदृढ़ कर लें, तो वृद्धावस्था में किसी को भी वृद्धाश्रम जाने की नौबत नहीं आएगी।
संयुक्त परिवार प्रणाली क्यों जरूरी है?
संयुक्त परिवार प्रणाली केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक सुरक्षा का आधार भी है। इसमें परिवार के सभी सदस्य एक साथ रहते हैं, बुजुर्गों को सम्मान मिलता है, और बच्चों को सही संस्कार और मार्गदर्शन प्राप्त होता है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें बुजुर्ग कभी अकेला महसूस नहीं करते, जिससे उनकी मानसिक और शारीरिक सेहत बनी रहती है।
संयुक्त परिवार प्रणाली को पुनर्जीवित करने के उपाय...
1. परिवार में बुजुर्गों का सम्मान और भूमिका सुनिश्चित करें
बुजुर्गों को परिवार में निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
उनके अनुभवों और सलाह को महत्व दिया जाए, जिससे वे सम्मानित महसूस करें।
घर के छोटे-मोटे कार्यों में उनकी भागीदारी बनी रहे ताकि वे खुद को बोझ न समझें।
2. बच्चों को अच्छे संस्कार दें
बच्चों को अपने दादा-दादी और नाना-नानी की सेवा और सम्मान करने की शिक्षा दें।
संयुक्त परिवार में रहने के लाभों और नैतिक मूल्यों का बचपन से ही प्रशिक्षण दें।
कहानी और अनुभवों के माध्यम से परिवार में एकता और सहयोग का महत्व समझाएं।
3. युवा पीढ़ी की जिम्मेदारी
युवा पीढ़ी को समझना होगा कि माता-पिता ने उन्हें बड़ा करने में कितना त्याग किया है।
नौकरी या करियर की व्यस्तता के बावजूद बुजुर्गों के लिए समय निकालें।
अगर संभव हो तो माता-पिता को अपने साथ रखें, या कम से कम नियमित रूप से उनसे मिलने जाएं।
4. संयुक्त परिवार के आर्थिक लाभ
संयुक्त परिवार में खर्च साझा होने से आर्थिक दबाव कम होता है।
बुजुर्गों की चिकित्सा और अन्य जरूरतों का ध्यान रखना आसान हो जाता है।
बच्चे संयुक्त परिवार में रहने से आत्मनिर्भर और सामाजिक रूप से मजबूत बनते हैं।
5. सामाजिक जागरूकता और नीति निर्माण
सरकार और समाज को संयुक्त परिवार प्रणाली को प्रोत्साहित करने वाली योजनाएं बनानी चाहिए।
वृद्धाश्रमों की जगह ऐसे पारिवारिक सहायता केंद्र बनाए जाएं, जो बुजुर्गों की देखभाल में मदद कर सकें।
मीडिया और सामाजिक संस्थाओं को पारिवारिक मूल्यों को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम बनाने चाहिए।
6. आधुनिक जीवनशैली में सामंजस्य
आज के व्यस्त जीवन में भी परिवार के लिए समय निकालना जरूरी है।
डिजिटल युग में भी बुजुर्गों को तकनीक से जोड़ें, ताकि वे परिवार के संपर्क में रह सकें।
त्योहारों, पारिवारिक आयोजनों और नियमित मिलन समारोहों के जरिए संयुक्त परिवार की भावना को मजबूत करें।
और अंत में...
संयुक्त परिवार प्रणाली को फिर से अपनाकर हम एक ऐसा समाज बना सकते हैं, जहां बुजुर्गों को वृद्धाश्रम भेजने की जरूरत न पड़े। परिवार का मजबूत आधार ही बुजुर्गों की सबसे बड़ी सुरक्षा और संबल है। अगर हम सभी मिलकर अपने पारिवारिक मूल्यों को पुनर्जीवित करें, तो यह न केवल हमारे बुजुर्गों के लिए बल्कि संपूर्ण समाज के लिए भी लाभदायक होगा।
डॉ मनीष वैद्य।
सचिव
वृद्ध सेवा आश्रम, रांची