आदमी सिर्फ इंसान बने – तभी परिवार, समाज और राष्ट्र की सभी समस्याओं का समाधान...
आज के दौर में समाज अनेक समस्याओं से जूझ रहा है—परिवार टूट रहे हैं, समाज में भेदभाव और वैमनस्यता बढ़ रही है, और राष्ट्र में राजनीतिक व सामाजिक अस्थिरता देखने को मिल रही है। इन सभी समस्याओं का यदि मूल कारण खोजा जाए, तो एक ही उत्तर मिलेगा—आदमी का इंसानियत से दूर होना। यदि आदमी सच में इंसान बने, यानी संवेदनशील, ईमानदार, और नैतिक मूल्यों वाला व्यक्ति बने, तो परिवार, समाज और राष्ट्र की अधिकांश समस्याएँ स्वतः समाप्त हो जाएँगी।
परिवार समाज की सबसे छोटी इकाई है, और यदि यहाँ शांति और सद्भाव बना रहे, तो समाज और राष्ट्र भी सशक्त होंगे। लेकिन आजकल रिश्तों में दरार, विवाह-विच्छेद और पारिवारिक विवाद बढ़ते जा रहे हैं। इसका मूल कारण है—स्वार्थ, असहनशीलता और अहंकार।
यदि हर व्यक्ति इंसानियत को प्राथमिकता दे, रिश्तों में त्याग और समझदारी अपनाए, तो परिवारिक तानाबाना मजबूत रहेगा और संतानें भी अच्छे संस्कारों से युक्त होंगी, जिससे आगे समाज और राष्ट्र को भी अच्छे नागरिक मिलेंगे।
समाज में जाति, धर्म, भाषा, वर्ग आदि के आधार पर बंटवारा बढ़ता जा रहा है। अपराध, भ्रष्टाचार, हिंसा और नफरत जैसी प्रवृत्तियाँ समाज में गहरी जड़ें जमा रही हैं। इसका मुख्य कारण है कि व्यक्ति केवल अपने स्वार्थ और फायदे के लिए सोचने लगा है, न कि समाज और मानवता के लिए।
यदि व्यक्ति सही मायने में इंसान बने, दूसरों की तकलीफों को समझे, समानता और भाईचारे की भावना रखे, तो समाज से अधिकतर समस्याएँ समाप्त हो जाएँगी। सहयोग, दया, प्रेम, और न्याय की भावना से भरा समाज ही सच्चे लोकतंत्र और प्रगति की ओर बढ़ सकता है।
राष्ट्र केवल भौगोलिक सीमाओं का नाम नहीं, बल्कि उसमें रहने वाले नागरिकों का समूह होता है। यदि नागरिक नैतिकता, ईमानदारी और कर्तव्यपरायणता से कार्य करें, तो राष्ट्र को कोई भी ताकत कमजोर नहीं कर सकती।
आज भ्रष्टाचार, राजनीतिक स्वार्थ, और अनैतिक आचरण राष्ट्र की प्रगति में बाधा बन रहे हैं। यदि हर नागरिक सच्ची इंसानियत अपनाए, तो ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करेगा, अपने अधिकारों का सही उपयोग करेगा और राष्ट्र-निर्माण में योगदान देगा।
और अंत में...
समस्याएँ चाहे परिवार में हों, समाज में हों या राष्ट्र में—इनका समाधान व्यक्ति के भीतर ही छिपा है। यदि व्यक्ति धर्म, जाति, स्वार्थ और घृणा से ऊपर उठकर सच्चा इंसान बने, तो हर समस्या का समाधान संभव है। दुनिया में तमाम विचारधाराएँ और सिद्धांत आए, लेकिन सबसे बड़ी विचारधारा "इंसानियत" ही है। जब आदमी सच्चा इंसान बनेगा, तभी परिवार सुखी होगा, समाज समरस होगा और राष्ट्र सशक्त बनेगा।
डॉ मनीष वैद्य।
सचिव
वृद्ध सेवा आश्रम, रांची