मुर्ख और अशिक्षित व्यक्तियों की पहचान...

(यह लेख सामाजिक दृष्टिकोण से है, किसी का अपमान करना उद्देश्य नहीं है।)

समाज में प्रत्येक व्यक्ति की अपनी एक अलग पहचान होती है। कुछ लोग ज्ञान, विवेक और शिक्षा के माध्यम से समाज में सकारात्मक योगदान देते हैं, वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी अज्ञानता और मूर्खता से न केवल स्वयं को, बल्कि समाज को भी हानि पहुँचाते हैं। ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर पाना आवश्यक है ताकि उन्हें सही दिशा दी जा सके और समाज में जागरूकता फैलाई जा सके।

1. तर्कहीन बातें करना...

मूर्ख और अशिक्षित व्यक्ति अक्सर बिना सोच-विचार के बोलते हैं। वे तर्क की जगह अंधविश्वास, अफवाहों और झूठी बातों पर विश्वास करते हैं और दूसरों को भी भ्रमित करते हैं।

2. सीखने की इच्छा का अभाव...

ज्ञान और शिक्षा की दिशा में उनका कोई झुकाव नहीं होता। वे अपने पुराने विचारों और परंपराओं से चिपके रहते हैं और नवीन जानकारी या बदलाव को नकारते हैं।

3. बिना जानकारी के राय देना...

ऐसे लोग हर विषय पर अपनी राय देना पसंद करते हैं, भले ही उन्हें उस विषय की कोई जानकारी न हो। यह रवैया अक्सर गलत निर्णयों और भ्रम का कारण बनता है।

4. आवाज ऊँची, समझ कमजोर...

ऐसे व्यक्तियों की एक विशेष पहचान यह भी होती है कि उनकी आवाज अक्सर सबसे ऊँची होती है। वे बहस में तथ्य नहीं, बल्कि शोर का सहारा लेते हैं। उनकी ऊँची आवाज सच पर भारी पड़ती है, और कई बार समाज भ्रमित होकर गलत को सही मान बैठता है। यह प्रवृत्ति लोकतांत्रिक विमर्श के लिए अत्यंत घातक है।

5. आलोचना न सह पाना...

मूर्ख व्यक्ति अपनी आलोचना सहन नहीं कर पाते। वे तुरन्त आक्रोश में आ जाते हैं और तर्क के बजाय झगड़े को प्राथमिकता देते हैं।

6. अंधविश्वास में विश्वास करना...

अशिक्षित व्यक्ति अक्सर टोने-टोटके, झाड़-फूंक, और झूठे बाबाओं पर भरोसा करते हैं। वे वैज्ञानिक सोच को नकारते हैं और अज्ञानता के दलदल में फँसे रहते हैं।

7. अनुशासन और शिष्टाचार की कमी...

ऐसे लोग सामाजिक नियमों, अनुशासन और मर्यादा का पालन नहीं करते। वे सार्वजनिक स्थानों पर भी अनुचित व्यवहार कर सकते हैं जिससे समाज में असहजता उत्पन्न होती है।

8. अपनी गलती न मानना...

मूर्ख व्यक्ति कभी अपनी गलती स्वीकार नहीं करते। वे दूसरों को दोष देकर स्वयं को सही साबित करने का प्रयास करते हैं।

और अंत में...

मुर्खता और अशिक्षा कोई जन्मजात दोष नहीं, बल्कि यह सामाजिक और व्यक्तिगत प्रयास की कमी का परिणाम होती है। यदि ऐसे व्यक्तियों को सही मार्गदर्शन, शिक्षा और प्रेरणा दी जाए, तो वे भी समाज के उपयोगी नागरिक बन सकते हैं। हमें उनका उपहास नहीं, बल्कि सहयोग और सुधार की दिशा में कार्य करना चाहिए।
एक सशक्त और शिक्षित समाज की नींव तब ही रखी जा सकती है जब हम मूर्खता और अशिक्षा के विरुद्ध सिर्फ बोलें नहीं, बल्कि ठोस प्रयास भी करें। और साथ ही, यह भी याद रखें कि ऊँची आवाज का मतलब सही होना नहीं होता। हमें शोर से नहीं, सोच से चलने वाले समाज की ओर कदम बढ़ाना है।

डॉ मनीष वैद्य!
सचिव 
वृद्ध सेवा आश्रम, रांची

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